दोस्तों, अभी अभी हिंदुस्तान के लिए एक बड़े गर्व की बात निकल कर आ रही है। पैरिस ओलंपिक में भारत को पहला मेडल मिल चुका है और जीत का आगाज हो चुका है। मन्नू भाकर नाम तो सुना ही होगा 10 मीटर एयर पिस्टल में इन्होंने ब्रोन्ज मेडल जीतकर ओलंपिक्स में भारत के विजय पताका की शुरुआत कर दी है और शूटिंग में मेडल दिलाने वाली ये पहली महिला भी बन चुकी है जिन्होंने भारत का नाम रोशन किया। वैसे ये पिछली बार भी टोक्यो ओलंपिक में गई थी, लेकिन पिछली बार पिस्टल ने धोखा दिया था। आइए देखते हैं कौन है मनुभाकर जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिलाया।
भारत की ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला मनु भाकर बन चुकी है
अब देखते हैं मन्नू भाकर के प्रोफाइल 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता के फाइनल में भारत के मन्नू भाकर ने तीसरे स्थान पर रहते हुए ये ब्रोंज मेडल जीता और ये मनु का पहला ओलंपिक मेडल है। वो भारत की तरफ से शूटिंग में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला निशानेबाज भी बन चुकी हैं। उनसे पहले सुमा सिरूर जो की पेरिस ओलंपिक में मनु की कोच हैं, उन्होंने साल 2004 के एथेंस ओलम्पिक्स में वीमेन शूटिंग इवेंट के फाइनल में जगह जरूर बनाई थी दुर्भाग्य से मेडल नहीं ला पाई थी वो सुमा के उपलब्धि के 20 साल बाद कोई भी भारतीय महिला निशानेबाज किसी शूटिंग इवेंट के फाइनल में पहुंची।
मनु भाकर ने ओलम्पिक मेडल जीत कर इतिहास रच दिया
22 साल के मनुभाकर ने फाइनल में 221.7 का स्कोर हासिल कर ब्रोन्ज मेडल जीता। एक समय वो सिल्वर मेडल के बेहत करीब थी लेकिन मात्र 0.1 अंक के अंतर से वो ये पदक चूक गई। इनके अलावा कोरिया की ओह है ये नाम की एक महिला जिन ने 243.2 के नए ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ ये गोल्ड मेडल जीता है।
इसमें और उनकी हम वतन ये जी किम ने भांकर को पछाड़ कर 241, 10 के स्कोर के साथ सिल्वर मेडल जीता है। भारत के लिए पहला पदक जीतने के बाद मन्नू भांकर ने कहा कि मैंने बहुत प्रयास किया। आखिरी तक अपनी पूरी ऊर्जा से लड़ती रही। ये एक कांस्य है और मुझे खुशी है की मैं देश के लिए कांस्य पदक जीत सकी। मैंने बहुत सारी गीता पढ़ी है। जैसा की भगवान श्री कृष्ण कहते है कर्म पर ध्यान केंद्रित करो और कर्म के परिणाम पर नहीं। मैंने भी यही किया, मैंने सोचा अपना काम करो और सब कुछ होने दो। टोक्यो के बाद में बहुत निराश थी। हालांकि मैं और मजबूत होकर वापस आई।
मनु भाकर की पूरी बायोग्राफी
और उन्होंने सीख दी की अतीत को अतीत में ही रहने दो तो ज्यादा बेहतर है और वही दोस्तों मनोभाकर की बायोग्राफी की बात करें तो साल 2002 में इनका जन्म हुआ। वैसे तो भारत का हरियाणा राज्य मुक्केबाजों और पहलवानों के नाम से जाना जाता है, लेकिन यहाँ की मिट्टी से निकलते एथलीटों ने पूरी दुनिया में अपना परचम फहराया है। आज हमारी इस कहानी में शूटिंग करल मन्नू भाकर भी हरियाणा के झज्जर जिले में जन्मी हैं। स्कूल के दिनों में ही ये टेनिस, स्केटिंग और मुख्य जैसे कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया करती हैं।
मात्र 14 साल की उम्र में उन्होंने शूटिंग में अपना करियर बनाने का फैसला किया और उस वक्त रियो ओलंपिक 2016 खत्म ही हुआ था और इसके एक सप्ताह के अंदर ही उन्होंने अपने पिता से शूटिंग पिस्टल लाने को कहा तो कुछ यूं इनके सफर की शुरुआत हुई। फिर साल 2017 और महज 16 साल की उम्र में वह आई एस एस ऐफ़ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की पहली भारतीय खिलाड़ी भी बनी है।